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राजस्व विभाग विवाद पर डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का जवाब, बोले– दबाव में नहीं, जनता के हित में ही फैसले

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पटना।बिहार राजस्व सेवा संघ (बिरसा) द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजे गए पत्र और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर उठे विवाद पर उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने दो टूक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ कहा कि उन्हें किसी भी तरह का कोई पत्र नहीं मिला है और न ही उन्हें यह जानकारी है कि कौन और किस वजह से नाराज है।
“अराजकता बर्दाश्त नहीं, सेवा का दायित्व निभाऊंगा”
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा कि विभाग में अराजक माहौल स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक वे इस विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, तब तक जनता के हित को सर्वोपरि रखकर काम किया जाएगा। उनके मुताबिक, जो अधिकारी ईमानदारी से काम करते हैं, उन्हें संरक्षण और लाभ मिलता है, लेकिन वे किसी तरह के दबाव में निर्णय नहीं लेते।
फर्जी दस्तावेज और जमीन विवाद पर सख्ती
उन्होंने कहा कि भूमि से जुड़े मामलों के कारण अदालतों पर अत्यधिक बोझ है और इसे कम करना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। डिप्टी सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि फर्जी कागजात के सहारे जमीन हड़पने या धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने दोहराया कि न किसी को अपमानित किया जाता है और न ही किसी के साथ दुर्व्यवहार, बल्कि कानून के तहत ही कदम उठाए जाते हैं।
बिरसा संघ ने जताई नाराजगी
दूसरी ओर, बिहार राजस्व सेवा संघ (बिरसा) ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में विभागीय मंत्री की कार्यशैली और सार्वजनिक बयानों पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है। संघ का कहना है कि हाल के वक्त में सार्वजनिक मंचों, मीडिया और सोशल मीडिया पर दिए गए बयानों से न सिर्फ राजस्व प्रशासन की गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि पूरे सेवा संवर्ग को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है।
संवैधानिक मर्यादाओं के उल्लंघन का आरोप
संघ ने पत्र में दावा किया है कि “खड़े-खड़े निलंबन”, “जनता के सामने जवाब” और “तुरंत फैसला” जैसे कथन संविधान, प्राकृतिक न्याय और विधि के शासन की भावना के खिलाफ हैं। संघ का यह भी कहना है कि इस तरह की कार्यशैली लोकतांत्रिक प्रशासन की बजाय तात्कालिक और दबावपूर्ण फैसलों जैसी प्रतीत होती है।
पूर्ववर्ती प्रशासन को लेकर भी सवाल
बिरसा ने यह भी आरोप लगाया कि सार्वजनिक बैठकों में अक्सर पूर्व मंत्रियों और विभागीय नेतृत्व के योगदान को नजरअंदाज किया जाता है, जबकि पिछले करीब दो दशकों में अधिकांश समय एनडीए की सरकार ही सत्ता में रही है। इससे ऐसा संदेश जाता है मानो पूर्व का पूरा प्रशासन निष्क्रिय रहा हो।
अब मुख्यमंत्री के रुख पर टिकी नजर
फिलहाल, एक तरफ राजस्व सेवा संघ प्रशासनिक गरिमा और संवैधानिक मर्यादाओं की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर डिप्टी सीएम विजय सिन्हा सख्ती और पारदर्शिता को जनता के हित में जरूरी बता रहे हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मुख्यमंत्री स्तर पर इस विवाद को लेकर आगे क्या निर्णय लिया जाता है।

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